scriptमुन्ना बजरंगी केस में बर्खास्त जेलर पहले से रहे हैं विवादित, जेल में ही दुकान खोलकर बिकवाते थे ये सामान | The untold story of dismissed Jailer UP Singh who open illegal shop | Patrika News
गोरखपुर

मुन्ना बजरंगी केस में बर्खास्त जेलर पहले से रहे हैं विवादित, जेल में ही दुकान खोलकर बिकवाते थे ये सामान

बर्खास्त जेलर यूपी सिंह गोरखपुर में हुए थे निलंबित

गोरखपुरJun 23, 2019 / 02:16 pm

धीरेन्द्र विक्रमादित्य

transferred for bribe

Four policemen transferred for bribe

मुन्ना बजरंगी की हत्या के बाद निलंबित और अब बर्खास्त कर दिए गए जेलर यूपी सिंह जहां भी रहे हैं विवादित रहे हैं। गोरखपुर में तैनाती के दौरान कैदियों से वसूली, राशन बेचने, जेल में पान-गुटखा बेचवाने के आरोप में वह पहले भी सस्पेंड किए जा चुके हैं। प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनते ही गोरखपुर जेल में छापामारी हुई थी। इस छापामारी में तत्कालीन जेलर यूपी सिंह पर कई प्रकार के अनियमितता के आरोप लगे थे। शासन को रिपोर्ट मिलने के बाद उनको तत्काल सस्पेंड कर दिया गया था।
अप्रैल 2017 में गोरखपुर जेल में गोरखपुर रेंज के उप महानिरीक्षक जेल यादवेंद्र शुक्ल ने जिला जेल में छापा मारा था। छापामारी में जेल में जेलर द्वारा चलाए जा रहे एक अलग साम्राज्य के बारे में पता चला था।
आईजी जेल की रिपोर्ट के अनुसार उस समय गोरखपुर जेल की कैंटीन में गुटखा, पान मसाला, तंबाकू, गुल और कोल्ड ड्रिंक जैसी प्रतिबंधित चीजें बेचने की बात पता चली। कैदियों को स्पेशल सुविधा पैसा लेकर किया जाता था। यही नहीं जेल में कुछ खास बंदी रक्षकों की ही ड्यूटी अति महत्वपूर्ण स्थानों पर लगाई जाती थी। कई बंदी रक्षकों ने इसकी शिकायत भी आईजी जेल से की थी। विलंब से आने वाले मुलाकातियों से पैसा लेकर उनकी मुलाकात कराई जाती थी।
जेल में कैदियों के लिए आने वाले राशन की कालाबाजारी की जाती थी। गेहूं व चावल जैसी सामग्रियों के खरीदे जाने के बाद उसे जेल में लाए जाने पर उनकी मात्रा का कहीं उल्लेख नहीं मिला था। रिपोर्ट के अनुसार चार्ज संभालने के बाद ही जेलर ने गल्ला का चार्ज भी ले लिया था जबकि पहले यह डिप्टी जेलर के जिम्मेदारी हुआ करती थी। कैदियों के खुराक में भी उन पर कटौती का आरोप लगा था।
 

जेलर के खिलाफ जेल के ही कर्मचारी ने खोल दिया था मोर्चा

गोरखपुर में तैनाती के दौरान तत्कालीन जेलर यूपी सिंह के खिलाफ उनके सहयोगियों ने ही मोर्चा खोल दिया था। जेल में ही तैनात पुलिसकर्मियों ने विभागीय शिकायत की थी। इस शिकायत के बाद जेल विभाग के अधिकारियों ने कार्रवाई करते हुए छापामारी की थी। इस कार्रवाई में सबकुछ सामने आ गया था। आरोप सही पाए जाने के बाद शासन को आईजी जेल ने रिपोर्ट भेजी थी। इसके बाद कार्रवाई हुई थी।
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